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Film Review : जीवन में कभी ना हारे चंदू चैंपियन


  • के. कुमार

फिल्म : चंदू चैंपियन
कलाकार : कार्तिक आर्यन, भाग्यश्री बोरसे, भुवन अरोड़ा, यशपाल शर्मा, विजय राज, राजपाल यादव, श्रेयस तलपदे, सोनाली कुलकर्णी आदि
लेखक : कबीर खान, सुमित अरोड़ा, सुदीप्तो सरकार
निर्देशक : कबीर खान
निर्माता : साजिद नाडियाडवाला
रेटिंग : 3.5

एक लड़का जिसका नाम मुरलीकांत पेटकर है। बचपन में स्कूल में पढ़ाई की जगह उसका सपना है, ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने का, लेकिन किस खेल में यह उसे नहीं पता। उसके इसी सपने और जोश को पूरा करने के लिए उसका भाई उसको एक अखाड़े के मास्टर से मिला कुश्ती की टैªनिंग दिला देता है। लेकिन वह बड़ा होकर अपने उस्ताद के दोस्त को कुश्ती में पछाड़ देता है, जिससे मुरली के उस्ताद के दोस्ता उसके दुश्मन हो जाते हैं, और उसको मारने के लिए पीछे पड़ जाते हैं। बस यहीं से शुरुआत होती है, उसके आलंपिक में मेडल जीतने की। मुरली अपने गांव से भागकर टेªन में चढ़ जाता है। जहां उसको कुछ युवा मिलते हैं, जो फौज में भरती होने जा रहे होते हैं, और मुरली की किस्मत भी उसका साथ देती है। और वह फौज में भरती हो जाता है। फौज द्वारा वह बाॅक्सिंग अपने सपने का सच करने में जुट जाता है। और अपनी मंजिल की तरफ बढ़ता भी है, लेकिन 1965 की लड़ाई में उसको इतनी गोलियां लगती है कि वह अपने पैरा पर चलने से लाचार हो जाता है। वह हार मान जाता है, लेकिन कोच टाईगर (विजय राज) उसको हिम्मत देते हैं, और उसका 1972 के पैरा ओलंपिक के लिए तैयार करते हैं और फिर क्या था अपने इसी सपने को पूरा करते हुए चंदू चैंपियन स्वीमिंग में गोल्ड हासिल करते हैं।

निर्देशक कबीर खान प्रशंसा के पात्र हैं, जिन्होंने ‘चंदू चैंपियन’ की एक सच्ची कहानी लोगों तक पहुंचाई। अगर वे फिल्म न बनाते तो हमें इतिहास के इस जाबांज नायक/खिलाड़ी की कहानी का पता नहीं चलता। धन्य हैं वे सभी निर्देशक जो इतिहास की गहराइयों में जाकर ऐसी कहानियों की खोज करते हैं। लेकिन वास्तव में मुरली पेटकर ऐसे ही एक नायक हैं, जिन्होंने पैरा ओलंपिक में गोल्ड जीता और उनका अर्जुन पुरस्कार तक नहीं मिला। लेकिन जब सरकार ने ऐसे वीरों को खोजकर पुरस्कृत करना शुरू किया तो चंदू चैंपियन की कहानी का पता चला और सरकार द्वारा उनको पùश्री देकर सम्मानित किया। फिर कबीर खान ने इनकी कहानी पर रिसर्च कर चंदू चैंपियन दर्शकों के लिए बनाई।
कहानी की शुरुआत में मुरलीकांत राष्ट्रपति पर केस करने के लिए स्थानीय पुलिस थाने में जाते हैं, जहां थाने के प्रभारी उसकी बात सुनकर हंसने लगते हैं, लेकिन जब मुरलीकांत अपने जीवन की कहानी सुनाते हैं, तो दर्शक भी उनकी कहानी देख सुनकर हतप्रभ रह जाते हैं, और कहानी में इतना खो जाते हैं, कि इंटरवल का पता ही नहीं चलता। फिल्म में दिखाया गया है कि बचपन से ही मजबूत इरादे वाला लड़का जिसको अपने जीवन में कई बार मौत का सामना करना पड़ता है लेकिन मौत का मात देते हुए जीवन की कठिनाइयों और समाज के लोगों के ताने-बानो को पार करते हुए अपनी मंजिल तक पहुंचता है।

जब आप फिल्म को देखना शुरू करेंगें तो फिल्म की कहानी में दिखाया गया उस समय का पूरा परिवेश और कहानी की मनोरम और सौम्य दृश्य को देखकर आपका मन खुश हो जाएगा। निर्देशक कबीर खान ने पूरे मन से इस फिल्म का बनाया है, जिसमें उन्होंने सिनेमोटोग्राफी से लेकर ग्राफिक्स का भी बाखूबी प्रयोग किया है। वहीं कहानी के अनुरूप गाने और उसके संगीत और गाने के बोल बहुत अच्छे लगते हैं।

वहीं अगर अभिनय की बात करें तो कार्तिक आर्यन ने अपने किरदार पर बहुत मेहनत की है, जिसका नतीजा आप उनके चंदू चैंपियन बनने में देख सकते हैं। कार्तिक का अबतक का सबसे अलग अभिनय देखने को मिलेगा इस फिल्म में। वहीं उनके कोच बने विजय राज अपने शानदार अभिनय से हर बार की तरह सबका दिल जीत लेते हैं। वहीं यशपाल शर्मा, बृजेंद्र काला, राजपाल यादव, सोनाली कुलकर्णी, अनिरुद्ध दवे और पुलिस इंस्पेक्टर के अभिनय में श्रेयस तलपड़े भी अपने अभिनय में अपना असर छोड़ते हैं।

इतिहास के पन्नों में छिपी चंदू चैंपियन से आपको भी रू-ब-रू होना है, तो अकेले बिल्कुल मत जाइएगा। अपने परिवार के साथ और बच्चों का जरूर दिखाने जाना।यह फिल्म एक खिलाड़ी के जीवन और उसके संघर्ष की प्ररेणादायक कहानी है, कहानी हमें यह सबक देती है कि अपने सपने को सच करने के लिए कभी हार नहीं माननी चाहिए और न ही कभी कमजोर होना चाहिए। आपको गर्व करोगे की हमारे देश में ऐसे महानायक हुए हैं, जिस देश के हम वासी हैं। बच्चों को तो यह फिल्म जरूर देखनी चाहिए। कहीं न कहीं उनको जीवन में अपनी मंजिल को जीतने की प्रेरणा अवश्य मिलेगी। तो इतंजार किस बात का है विकेंड आ रहा है, चले जाइए एक शानदार फिल्म का अनुभव लेने के लिए।


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