~ ईवी 3W के क्षेत्र में विकास को बढ़ावा देने के लिए 10 हजार इलेक्ट्रिक वाहनों को फाइनेंस करने की योजना~
इकोफी ने आज महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड (एमएंडएम) की सब्सिडिएरी महिंद्रा लास्ट माइल मोबिलिटी लिमिटेड (एमएलएमएमएल) के साथ अपनी साझेदारी की घोषणा की है। इस साझेदारी से भारत में इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर्स को अपनाने में तेजी आने की संभावना है। एमएलएमएमएल भारत में इलेक्ट्रिक थ्री-व्हीलर की नंबर 1* निर्माता कंपनी है और इसके पास इन वाहनों की व्यापक रेंज मौजूद है। इस साझेदारी का उद्देश्य ईवी 3W की बढ़ती मांग को और बढ़ावा देना है। इसके लिए इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण में महिंद्रा की विशेषज्ञता का संयोजन इकोफी के अभिनव फाइनेंसिंग सोल्यूशंस से किया जाएगा। इकोफी भारत में एवरसोर्स कैपिटल द्वारा समर्थित स्वच्छ पर्यावरण के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों को फाइनेंस करने वाली एकमात्र ग्रीन एनबीएफसी है।
इकोफी के को-फाउंउर, एमडी और सीईओ राजश्री नांबियार ने इस अवसर पर कहा, “महिंद्रा एलएमएलएल के साथ यह साझेदारी आवागमन के स्वच्छ साधनों को बढ़ावा देने के अभियान से पूरी तरह मेल खाती है। हम एक साथ मिलकर इलेक्ट्रिक थ्री व्हीलर्स को बढ़ावा देंगे। इससे हम इलेक्ट्रिक थ्री व्हीलर्स के प्रयोग को 2030 तक 30% तक बढ़ाने के अपने लक्ष्य में योगदान दे पाएंगे। इस साझेदारी से दोनों कंपनियों को लाभ होगा। इस साझेदारी के बाद इकोफी इंडस्ट्री की 85% मांग को पूरा करने में सक्षम हो गया है। कंपनी इससे पहले ही फाइनेंसिंग, लीजिंग और सब्सक्रिप्शन के मॉडल पेश कर रही थी।’’
एमएलएमएमएल की एमडी और सीईओ सुमन मिश्रा ने कहा, “हमारी साझेदारी भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने के लिए लोगों को प्रेरित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस साझेदारी की मदद से हम अपने ग्राहकों को उनकी जरूरत के मुताबिक विशिष्ट रूप से तैयार वित्तीय समाधान मुहैया करायेंगे और उन्हें उनका छोटा-मोटा कारोबार शुरू करने के सफर के और लेकर जाएंगे। इकोफी के साथ मिलकर हम इलेक्ट्रिकल वाहनों को सभी की पहुंच में लाने और किफायती ईवी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
दुनिया भर में इलेक्ट्रिक थ्री व्हीलर्स का मार्केट 2020 में 667 मिलियन अमेरिकी डॉलर का था। 2021 से 2027 के दौरान इस बाजार के 10% की सीएजीआर दर से बढ़ने की संभावना है। सरकार इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए अनेक प्रोत्साहन और सब्सिडी प्रदान करती है, ऐसे में यह साझेदारी भारत के परिवहन उद्योग के लिए ज्यादा स्थायी और हरे-भरे भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेगी।