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जिम्स की प्रोफेसर वंदना यादव को मिला राष्ट्रीय गौरव रत्न सम्मान


  • वंदना यादव के मुताबिक छात्रों का एकमात्र उद्देश्य होता है कि वो पढ़-लिखकर सफल हों और उन्हें सफलता तभी मिलेगी जब वो इंडस्ट्री के मुताबिक स्किल्स सीखने में मन लगाएंगे।
  • दिल्ली सरकार और भारत सरकार की हिंदी अकादमी द्वारा आयोजित राष्ट्रीय कवि सम्मेलनों में बतौर राष्ट्रीय कवयित्री अपने काव्य पाठ से श्रोताओं का दिल जीतती रही हैं।

 

जगन्नाथ इंटरनेशनल मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट वसंत कुंज के मीडिया एंड कम्युनिकेशन विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर वंदना यादव को मीडिया एजुकेशन के क्षेत्र में राष्ट्रीय गौरव रत्न सम्मान से नवाजा गया है। गौरतलब है कि राष्ट्रीय मीडिया, कला और मीडिया शिक्षण के क्षेत्र में पिछले 16 सालों से सक्रिय वंदना यादव मीडिया शोध के क्षेत्र में भी बेहद तेजी के साथ उल्लेखनीय कार्य कर रही है। मीडिया इंडस्ट्री के व्यावहारिक अनुभव, शोध पत्र, पेटेंट, किताबें, न्यूज चैनलों के डिबेट शो में बतौर एक्सपर्ट उपस्थिति और पिछले पांच सालों के दरम्यान पढ़ाए गए छात्रों की सफलता- के आधार पर वंदना यादव का चयन किया गया है। गौरतलब है कि वंदना यादव MHOne, APN News, खबरफास्ट न्यूज चैनल और प्राइम न्यूज जैसे न्यूज चैनलों के प्राइम टाइम टीवी डिबेट्स में जोरदार तरीके से अपनी बात रखती है। वंदना यादव को मिला राष्ट्रीय गौरव रत्न पुरस्कार द स्टेट ह्यूमैन राइट्स एंड सोशल जस्टिस काउंसिल ऑफ राजस्थान के तहत रजिस्टर्ड एक प्रतिष्ठित पुरस्कार है जो हर वर्ष अलग-अलग क्षेत्र के खास लोगों को प्रदान किए जाते हैं।

दिल्ली सरकार और भारत सरकार की हिंदी अकादमी द्वारा आयोजित राष्ट्रीय कवि सम्मेलनों में बतौर राष्ट्रीय कवयित्री अपने काव्य पाठ से श्रोताओं का दिल जीतती रही हैं। अभी हाल ही में फाइंडेशन ऑफ सार्क राइटर्स एंड लिटरेचर और अकेडमी ऑफ फाइन आर्ट्स एंड लिटरेचर व मशहूर लेखिका पद्मश्री अजित कौर द्वारा आयोजित काव्य पाठ में अपनी कविताओं का पाठ किया। वंदना यादव की दो किताबे, पेटेंट, यूजीसी केयर लिस्टेड जर्नल, स्कोपस जर्नल समेत कुल 18 प्रकाशन है, जो उनकी अकादमिक सक्रियता को दर्शाता है। फिलहाल मीडिया अध्यापन के साथ-साथ वंदना यादव मणिपाल यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर रही हैं।

जिम्स वसंत कुंज में कार्य करने से पहले वो नोएडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर करीब सवा दो साल तक पढ़ा चुकी हैं। इससे  अध्यापन से पहले वो तीन सालों तक दिल्ली-एनसीआर की लोकप्रिय न्यूज वेबसाइट शाइन दिल्ली में बतौर सीनियर कॉरेस्पॉन्डेंट कार्य कर चुकी है। मीडिया इंडस्ट्री में उनकी रिपोर्टिंग बेहद प्रभावशाली मानी जाती थी। इसके साथ ही डिजिटल मीडिया एक्सपर्ट के तौर पर चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी (मेरठ) में उन्होंने एक सप्ताह का नेशनल वर्कशॉप कराया।

राष्ट्रीय कवयित्री के तौर पर हिंदी अकादमी और दिल्ली सरकार द्वारा आयोजित राष्ट्रीय युवा कवि सम्मेलनों की श्रृंखला में हिंदी अकादमी भवन, दिल्ली यूनिवर्सिटी के किरोड़ीमल कॉलेज और लक्ष्मीबाई कॉलेज में वंदना यादव की काव्य प्रस्तुति बेहद चर्चित रही थी। डिजिटल मीडिया और सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वाली वंदना यादव बेहद सकारात्मक, ऊर्जावान व संवेदनशील व्यक्तित्व की धनी हैं।

वंदना यादव के मुताबिक छात्रों का एकमात्र उद्देश्य होता है कि वो पढ़-लिखकर सफल हों और उन्हें सफलता तभी मिलेगी जब वो इंडस्ट्री के मुताबिक स्किल्स सीखने में मन लगाएंगे। अब परंपरागत पढ़ाई का दौर बीत रहा है। इसके साथ-साथ अकादमिक जगत में शोध की भी महत्ता है और सक्रियता की भी। वंदना यादव के मुताबिक वो इंडस्ट्री से अर्जित अनुभवों को छात्रों से साझा करने में सार्थकता का अनुभव करती है। अवॉर्ड हासिल होने के बाद वंदना यादव ने जिम्स वसंतकुंज के चेयरमैन श्री अमित गुप्ता और डायरेक्टर प्रो.(डॉ.) रवि. के. धर के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि उन्हें संस्थान के मैनेजमेंट से हमेशा सहयोग और मार्गदर्शन मिलता है, जिससे वह मीडिया एजुकेशन के क्षेत्र में अपने महत्वपूर्ण कार्यों को जारी रख पाती हैं। वंदना की माने तो मीडिया एजुकेशन के क्षेत्र में परंपरागत तरीकों से हटकर नये व्यावहारिक तरीकों को अपनाए जाने की आवश्यकता है। एक ऐसे दौर में जहां सब कुछ इतनी तेजी से बदल रहा हो, मीडिया के पठन-पाठन में भी प्रयोगधर्मी होने की जरूरत है। हम लकीर के फकीर बने रहकर नयी पीढ़ी के लिए सफलता का मार्ग प्रशस्त नहीं कर सकते।


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