- कारीगरी’ में दिख रहा भारतीय हस्तकला एवं हथकरघा का भव्य उत्सव
- ‘कारीगरी’ प्रदर्शनी में दिख रहीं समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर
- दीप प्रज्वलन के साथ हुआ शुभारंभ
- विशिष्ट अतिथियों ने कारीगरों का किया सम्मान
- सांस्कृतिक कार्यक्रमों एवं पारंपरिक हस्तशिल्पों ने दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध
- ‘कारीगरी’ प्रदर्शनी से भारतीय शिल्पकारों को मिल रहा है अंतरराष्ट्रीय पहचान का अवसर
नई दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के दिल यानी जनपथ स्थित नेशनल सेंटर फॉर हेरिटेज टेक्सटाइल (हैंडलूम हाट) में हस्तकला एवं हथकरघा प्रेमियों के लिए एमएसएमई और अम्बपाली के संयुक्त तत्वावधान में भारतीय हस्तकला एवं हथकरघा की समृद्ध परंपराओं का भव्य उत्सव कारीगरी आयोजित किया जा रहा है। यह प्रदर्शनी 27 जनवरी से 4 फरवरी तक चलेगा। इसमें भारत के विभिन्न अंचलों से लाए गए हस्तनिर्मित उत्पादों का अद्वितीय संगम है, जिसमें कारीगरों की सृजनशीलता, परिश्रम और सांस्कृतिक धरोहर का प्रभावशाली प्रदर्शन किया गया है। इस आयोजन का उद्देश्य भारतीय शिल्पकारों को वैश्विक मंच पर प्रतिष्ठा दिलाना और उनके उत्पादों को व्यापक स्तर पर पहुँचाना है।
कारीगरी प्रदर्शनी का आयोजन अम्बपाली हैंडलूम एवं हस्तकला बहुराज्य सहकारी समिति लिमिटेड द्वारा किया गया है, जिसे सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) के प्रोक्योरमेंट और विपणन सहायता (पीएमएस) योजना के अंतर्गत सहयोग प्राप्त है।
प्रदर्शनी का औपचारिक उद्घाटन मंगलवार को दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में एमएसएमई के संयुक्त निदेशक डॉ. आर.के. भारती, एमएसएमई के सहायक निदेशक सुनील कुमार, केंद्रीय गृह मंत्रालय के अपर सचिव ए.के. प्रधान, संयम संवाद फाउंडेशन की संस्थापक अरुणिमा समेत तमाम गणमान्य लोग उपस्थित रहे। मुख्य अतिथियों ने भारतीय हस्तकला की विशिष्टता और उसके सांस्कृतिक महत्त्व की सराहना की। आयोजक संस्था की अध्यक्ष अर्चना सिंह ने उपस्थित अतिथियों का स्वागत करते हुए आयोजन के उद्देश्य और महत्त्व पर प्रकाश डाला।
एमएसएमई के संयुक्त निदेशक ड़ॉ. आर.के. भारती ने अपने उद्बोधन में कहा, “भारतीय हस्तकला एवं हथकरघा उद्योग हमारी सांस्कृतिक धरोहर का जीवंत प्रतीक है। यह न केवल लाखों कारीगरों की आजीविका का आधार है, बल्कि हमारी संस्कृति और परंपराओं का महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। ऐसे आयोजन इस उद्योग को नई ऊर्जा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।” उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा, “भारतीय हस्तशिल्प अपनी अनोखी कारीगरी और उत्कृष्ट गुणवत्ता के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। कारीगरी जैसे आयोजन न केवल शिल्पकारों का हौसला बढ़ाते हैं, बल्कि उनके उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने का अवसर भी प्रदान करते हैं।” उन्होंने कहा कि “यह प्रदर्शनी देश के लघु और कारीगर उद्योगों को प्रोत्साहित करने का एक महत्वपूर्ण कदम है। यहां प्रदर्शित उत्पाद न केवल हमारी सांस्कृतिक धरोहर को सहेजते हैं, बल्कि स्थानीय उद्यमियों और महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण का प्रतीक भी हैं। ऐसे आयोजन छोटे उद्यमों को बड़ा मंच प्रदान करते हैं, जिससे रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे और स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा।
प्रदर्शनी में देश के विभिन्न राज्यों, जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, ओडिशा, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, आंध्र प्रदेश आदि से आए कारीगरों ने अपनी कृतियों का प्रदर्शन किया है। इस प्रदर्शनी में बनारसी साड़ी, कांचीपुरम सिल्क, कश्मीरी पश्मीना शॉल, राजस्थान के ब्लॉक प्रिंट और मध्य प्रदेश के चंदेरी वस्त्र जैसे कई प्रमुख हस्तशिल्प उत्पादों का प्रदर्शन हो रहा है। प्रदर्शनी में कुल 75 स्टॉल लगाए गए हैं। यह प्रदर्शनी 4 फरवरी 2025 तक प्रतिदिन प्रातः 11 बजे से शाम 8 बजे तक निःशुल्क जनसामान्य के लिए खुली रहेगी। प्रदर्शनी के साथ ही प्रतिदिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी हो रहा है, जो भारत की विविधता और समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाते हैं। बच्चों के मनोरंजन के लिए झूले और पारंपरिक खाद्य पदार्थों के स्टॉल भी विशेष आकर्षण बने हुए हैं। देश भर के छोटे लघु उद्यमी, कलाकार, बुनकर और एग्रो-आधारित उत्पादों के निर्माता इस प्रदर्शनी में भाग ले रहे हैं। इसमें ऑर्गेनिक उत्पाद, महिला समूहों द्वारा मेहनत से बनाए गए पापड़, आचार, बड़ी (विशेष खेती), हस्तशिल्प और हस्तकरघा के खूबसूरत हाथ से बने उत्पाद प्रदर्शनी सह बिक्री के लिए प्रदर्शित किए गए हैं।
अम्बपाली हैंडलूम एवं हस्तकला बहुराज्य सहकारी समिति लिमिटेड की अध्यक्ष अर्चना सिंह ने बताया कि इस प्रदर्शनी का आयोजन उचित मूल्य पर उत्पादों की ब्रांडिंग और प्रमोशन के लिए किया गया है, जिसमें दिल्लीवासियों के लिए बहुत कुछ खास है। इसका उद्देश्य देश के लघु उद्योगों को प्रोत्साहित करना और उन्हें एक विपणन प्लेटफार्म प्रदान करना है ताकि वे अपने उद्योगों का विस्तार कर सकें और अधिक से अधिक रोजगार के अवसर उत्पन्न कर सकें।
कारीगरी प्रदर्शनी भारतीय हस्तकला एवं हथकरघा की अनूठी विरासत का जीवंत दर्पण है, जो कारीगरों को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ उनकी कला को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित करने का एक महत्त्वपूर्ण प्रयास है।
मुख्य अतिथियों ने प्रदर्शनी का अवलोकन एवं कारीगरों से संवाद किया। अतिथियों ने कारीगरों की कृतियों की भूरि-भूरि प्रशंसा की और उन्हें प्रोत्साहित किया। कारीगरी प्रदर्शनी भारतीय हैंडीक्राफ्ट्स एवं हैंडलूम्स उद्योग के गौरव का जीवंत प्रतिबिंब है। यह न केवल कारीगरों को मंच प्रदान करती है, अपितु दर्शकों को भारतीय कला और संस्कृति के निकट लाने का प्रयास भी करती है। आयोजकों एवं कारीगरों ने इस आयोजन को सफल बनाने हेतु सभी आगंतुकों एवं मीडिया का आभार व्यक्त किया।