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मजदूर दिवस की ऐतिहासिक पृष्ट भुमि व यात्रा की कथा – खबरीलाल


प्रस्तुति : विनोद तकियावाला

समाज व राष्ट्र के विकाश के यज्ञ कुण्डली में खुन पसीने की आहुति देने वाले सच्चे श्रमार्थी को उनका मान सम्मान अवश्य मिलना चाहिए । सच्चे अर्थो में विकाश को तभी गति मिलेगी।जब एक श्रमिक (मजदूर) को उनका सम्मान व पारिश्रमिक मिले है।इसका मालिक व मजदूर के मधुर सम्बध का होना आवश्यक है। दोनो के सम्बध के बीच कई उतार चढाव देखने का मिलता रहता है। इतिहास इसका साक्षी है।जहाँ तक मजदूर दिवस के इतिहास का प्रशन है।भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत 1मई 1923 में हुई।आप को बता दे कि इसी दिन मजदूरों के अनिश्चित काम के घंटों को घटाकर 8 घंटे में तब्दील किया गया था।दुनियाभर में हर साल1मई को ‘अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस’ मनाया जाता है।भारत में अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस को लेबर डे,मई दिवस, कामगार दिन,इंटरनेशनल वर्कर डे, वर्कर डे भी कहा जाता है।इस दिन दुनियाभर में मजदूरों के हक और अधिकारों से संबंधित कई कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है। मजदूर दिवस का महत्‍व मजदूर दुनिया के विकास की रीढ़ हैं।आज दुनिया की जिस चमक पर हम गर्व महसूस करते हैं,ऐशो आराम से अपनी जिंदगी जीते हैं,ये सब मजदूरों की ही देन है।मजदूरों ने ही अपने खून पसीने से दुनिया को ये आधुनिक चमक दी है।अगर मजदूर न होते,तो शायद ये चमक भी न होती.ऐसे में मजदूर दिवस पर हमें इन कामगारों की मेहनतकश को याद करते हुए इन्हें धन्यवाद करना चाहिए।

मजदूर दिवस की शुरुआत अमेरिका के इलिनाय प्रांत के पश्चिम-मध्य में सबसे बड़े शहर शिकागो से हुई. शिकागो में शहीद मजदूरों की याद में पहली बार मजदूर दिवस मनाया गया. यहां1मई 1886 को मजदूरों ने एक आंदोलन छेड़ दिया था. हजारों की संख्या में मजदूर सड़क पर आ गए थे।ये मजदूर लगातार 10-15 घंटे काम कराए जाने के खिलाफ हड़ताल पर आ गए थे।मजदूर यूनियन काम का समय 8 घंटे तय किए जाने की मांग कर रहे थे।इस दौरान हेमार्केट में एक बम धमाका भी हुआ। परिणाम स्वरूप पुलिस ने प्रदर्शनकारियों से निपटने के लिए मजदूरों पर गोलियां चला दीं।इस हादसे में कई मजदूर मारे गए।

इसके बाद साल 1889 में पेरिस में एक अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन का आयोजन किया गया।यहा किया गया कि हेमार्केट नरसंघार में मारे गए मजदूरों की याद में हर साल 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जाएगा।इस दिन कामगारों के अवकाश का भी ऐलान किया गया ।

भारत में 25 साल बाद मनाया गया।

भारत में पहली बार मजदूर दिवस 1 मई 1923 को मनाया गया. इसकी शुरुआत चेन्नई से हुई।लेबर किसान पार्टी ऑफ हिन्दुस्तान के नेता कामरेड ‘सिंगरावेलू चेट्यार’ की अध्यक्षता में पहली बार भारत में मजदूर दिवस मनाया गया, जब मद्रास हाईकोर्ट सामने एक बड़ा प्रदर्शन किया गया।एक प्रस्ताव पास करके यह सहमति बनाई गई कि अब से हर साल एक मई को भारत में भी मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाएगा. इस दिन लेबर डे हॉलीडे का ऐलान किया गया. एक मई को ही महाराष्‍ट्र और गुजरात का स्‍थापना दिवस भी मनाया जाता है. महाराष्‍ट्र में इस दिन को महाराष्‍ट्र दिवस और गुजरात में गुजरात दिवस के नाम से जाना जाता है।

अंत में मजदूर दिवस की पावन तिथि के शुभ अवशर कलम के सिपाई खबरीलाल की ओर बहुत – बहुत बधाई देते हुए विदा लेते है –

ना ही काहुँ से दोस्ती ‘ ना ही काहुँ से बैर । खबरी लाल तो माँगे, सबकी खैर ।
फिर मिलेगे तीरक्षी नजर से तीखी खबर के संग । तब तक के लिए अलबिदा ।

विनोद तकियावाला
स्वतंत्र पत्रकार / स्तम्भकार
मेल आई – journalist.takiawala@gmail.com
सम्पर्क – 83683 93 253


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