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राहुल गांधी को राहत मिली, मुश्किलें खत्म नहीं हुई : खबरी लाल


  • विनोद तकियावाला
    स्वतंत्र पत्रकार/स्तम्भकार

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वैश्विक राजनीति के क्षितिज पर भारतीय राजनीति व राजनेताओं के किस्से आम है,लेकिन इन दिनों भारतीय राजनीति व राजनेताओं के क्रिया कलापों को भारत में ही नही वरन सम्पूर्ण विश्व के राजनीति के विशेषज्ञो की चिन्ता व चिन्तन से मिले वाले संकेत अच्छे नही है।चाहे वह लोकतंत्र के मन्दिर संसद की घटना हो , सरकारी तंत्र का दुर उपयोग के किस्सें हो,सम्प्रायिक दंगे हो या जाँच ऐजेन्सी के डण्डे के बल पर डर व भय का माहोल तैयार कर अपनी पार्टी में शामिल कर अपनी वाहवाही लुटना है।इसी क्रम में आज हम कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के उस चर्चित घटना का उल्लेख कर रहे है।जो सन 2019 में मोदी सरनेम पर टिप्पणी को लेकर गुजरात की एक कोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को 2साल की सजा सुनाई थी,जिसके बाद उनकी लोकसभा सदस्यता भी चली गई थी।सुप्रीम कोर्ट से सजा पर रोक तब तक जारी रहेगी,जब तक सूरत की सत्र अदालत से इस मामले में फैसला नहीं आ जाता।राहुल गांधी ने कन्विक्शन के खिलाफ सूरत की सत्र अदालत में अपील दायर कर रखी है,जो अभी लंबित है।ऐसे में राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से अभी राहत तो मिली है लेकिन उनकी कानूनी मुश्किलें अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुई हैं।सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इस संदर्भ में राजनीतिज्ञ व कानुन विदों में चर्चा-चिन्तन एक ओर शुरू हो गया है , तो वही दुसरी ओर कांग्रेस के समर्थक में खुशी की लहर दौड़ गई है।इस मामले पर विस्तार से चर्चा करते है।जैसा कि आप सभी को पता है कि सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को मिली दो साल की सजा पर रोक लगा दी है।सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि लोअर कोर्ट ने अधिकतम सजा देने की कोई वजह नहीं बताई है।मार्च 2023 में निचली अदालत से 2 साल की सजा मिलने के बाद लोकसभा सचिवालय ने इस बारे में नोटिफिकेशन जारी कर उनकी लोकसभा सदस्यता समाप्त कर दी थी।अब सुप्रीम कोर्ट से सजा पर रोक के बाद राहुल गांधी एक बार फिर लोकसभा में लौटने के लिए तैयार हैंI4 अगस्त को फैसला आने के बाद कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मिले थे और उनसे राहुल गांधी की सदस्यता तत्काल बहाल करने की मांग की थी। हालांकि,स्पीकर ने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कॉपी का इंतजार कर रहे हैं।लोकसभा सचिवालय के अधिकारी कोर्ट के आदेश की कॉपी मिलने के बाद इसका अध्ययन करेंगे।इसके बाद राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाल करने के संबंध में एक आदेश जारी किया जाएगा। हालांकि,इस प्रक्रिया के पूरी होने की निश्चित समय सीमा नहीं है।

मैआप के समक्ष राहुल गांधी की तरह का ही एक मामला राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी(एनसीपी)के सांसद मोहम्मद फैजल के साथ इसी साल हो चुका है।जनवरी 2023 में एक आपराधिक मामले में 10 साल की सजा पाने के बाद उनकी संसद सदस्यता चली गई थी।मार्च में उन्होंने केरल हाई कोर्ट में अपील की,जहां उनकी दोषसिद्धि और सजा निलंबित कर दी गई थी।इसके बाद उनकी संसद सदस्यता बहाल हो गई थी। लेकिन राहुल गाँधी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ सजा पर रोक लगाई है।दोषसिद्धि को रद्द करने पर फैसला गुजरात की सूरत कोर्ट को लेना है,जहां पर राहुल गांधी ने अपील दायर कर रखी है।इसके पहले सेशन कोर्ट ने राहुल गांधी की दोषसिद्धि पर तत्काल रोक लगाने की मांग खारिज कर दी थी।इस प्रकरण को समझने के लिए एक सर सरी निगाह डालते है -राहुल गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी रैली में कहा था कि मोदी सरनेम वाले चोर होते हैं।इसी बयान को लेकर बीजेपी नेता और गुजरात सरकार में मंत्री रहे पूर्णेश मोदी ने मानहानि का मुकदमा दायर किया था।मार्च 2023 में सूरत की निचली अदालत ने राहुल गांधी को दोषी मानते हुए 2 साल की सजा सुनाई थी।खास बात ये है कि इस आरोप में राहुल गांधी को अधिकतम सजा दी गई थी।यानि अगर निचली अदालत ने एक दिन भी सजा कम दी होती तो राहुल गांधी की संसद सदस्यता पर असर न पड़ता।

सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को शुक्रवार 4 अगस्त को बड़ी राहत देते हुए उनकी सजा पर रोक लगा दी है । सर्वोच्य न्यायलय के इस फैसले के बाद कांग्रेस नेता की संसद सदस्यता और चुनाव लड़ने का रास्ता भी साफ हो गया है।कांग्रेस ने कोर्ट के फैसला स्वागत करते हुए इसे सत्य की जीत करार दिया. कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला से मिलने समय मांगा ताकि उन्हें सुप्रीम कोर्ट के फैसले की कॉपी सौंप सकें।जस्टिस बी आर गवई,जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने कहा कि निचली अदालत यानी सूरत की अदालत के जज ने राहुल गांधी को दोषी ठहराते वक्त कोई कारण नहीं बताया था।निचली अदालत
आपराधिक मानहानि का मामला आईपीसी की धारा 499 और 500 के तहत आता है।आईपीसी के सेक्शन499के तहत मानहानि के मामले में दोषी माना जाता है।ऐसे मामलों में दोषी पाए जाने पर आईपीसी के सेक्शन 500 के तहत सज़ा सुनाई जाती है।इसमें कारावास की सज़ा के साथ ही जुर्माने का भी प्रावधान है ।या तो सिर्फ कारावास हो या सिर्फ जुर्माना लगाया जा सकता है..या फिर दोनों तरह की सज़ा हो सकती है।अब गौर करने वाली बात है कि इस सेक्शन 500 के तहत मानहानि के मामले में अगर कोई दोषी पाया जाता है तो उसे अधिकतम दो साल की ही सज़ा हो सकती हैउससे कम भी हो सकती है, लेकिन उससे ज्यादा नहीं हो सकती है।इस संदर्भ में कानुन विद के अनुसार इस संदर्भ अधिनियम है।ये जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 8 के दायरे में आ गए.इस एक्ट की धारा 8(3)में प्रावधान है कि कोई भी जनप्रतिनिधि किसी अपराध में कोर्ट से कन्विक्टेड हो जाता है और कोर्ट उस मामले में दोषी को कम से कम दो साल की सज़ा दे देती है तो वो शख्स संबंधित सदन की सदस्यता के लिए अयोग्य हो जाता है।इतना ही नहीं इसी धारा में ये प्रावधान है कि सज़ा पूरी होने के 6 साल बाद तक वो सदस्य बनने के लिए अयोग्य ही रहेगा।ये प्रावधान जनप्रतिनिधित्व कानून,1951 की धारा8(4)था।2013 में सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में एक ऐतिहासिक फैसला दिया।लिली थॉमस बनाम यूनियन ऑफ इंडिया’ के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जनप्रतिनिधित्व कानून,1951 की धारा 8(4) को निरस्त कर दिया।

राहुल गांधी को गुजरात के सूरत की एक कोर्ट ने बीती 23 मार्च को मानहानि के इस केस में दो साल की सजा सुनाई थी।इसके बाद उनको संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित किया गया था।राहुल गांधी के खिलाफ गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने मानहानि का केस दर्ज करवाया था।कांग्रेस नेता ने 13अप्रैल 2019 को कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी सभा में मोदी सरनेम को लेकर टिप्पणी की थी।जिसमें राहुल गांधी ने सभा में कहा था कि सभी चोरों का एक ही सरनेम मोदी कैसे हो सकता है।

देश के सर्वोच्च न्यायलय के इस फैसले पर स्वयं राहुल गांधी ने कहा कि चाहे कुछ भी हो,मेरा कर्तव्य वही रहेगा।भारत के विचार की रक्षा करना।आज नहीं तो कल,कल नहीं तो परसो सच्चाई की जीत होती है लेकिन चाहे जो हो मेरा रास्ता साफ है ।मुझे क्या करना है,मेरा क्या काम है उसे लेकर मेरे दिमाग में स्पष्टता है।जिन लोगों ने हमारी मदद की और जनता ने जो प्यार और साथ दिया उसके लिए उनका बहुत -बहुत धन्यवाद।कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि तीन चीजों को लंबे समय तक छिपाया नहीं जा सकता सूर्य ,चंद्रमा और सत्य सुप्रीम कोर्ट को न्यायपूर्ण फैसला देने के लिए धन्यवाद,सत्यमेव जयते।कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि राहुल गांधी को घेरने की बीजेपी की साजिश का पर्दाफाश हो गया,उन्हें विपक्षी नेताओं को दुर्भावनापूर्ण तरीके से निशाना बनाना बंद करना चाहिए।सत्य की जीत हुई है,न्याय हुआ है, लोकतंत्र की जीत हुई है।अब समय आ गया है कि बीजेपी लोगों की ओर से दिए गए जनादेश का सम्मान करना शुरू कर दे।वही प्रजातंत्र के सच्चे समर्थक के बीच में दबी जुबान से यह चर्चा होने लगी है – जिस लोक सभा के अध्यक्ष ने राहुल गाँधी की सदस्यता को समाप्त करने के लिए 24 घंटे में सारी कानुनी प्रकिया में ना जल्द बाजी दिखाते हुए उनकी सदस्यता समाप्त कर दी उसी तत्पर्यता के साथ राहुल गाँधी को संसद की सदस्यता दिलाने में दिखाई जाएगी।ताकि पुनः सदन वे देश वासियो की आवाज बन कर सता पक्ष सरकार पर सवाल उठाए।

देश के सर्वोच्य न्यायलय के फैसले से कांग्रेस व नवगठित I,N,D,I,A गठबन्धन धठक दलों खुशी की लहर है वही पूणेश मोदी व उसके समर्थक आगे की रणनीति बनाने में व्यस्त है। इस संदर्भ में अभी कुछ कहना जल्द बाजी होगी ।फिलहाल आप सभी से यह कहते हुए विदा लेते है- ना ही काहुँ से दोस्ती,ना ही काहुँ से बैर।खबरीलाल तो माँगे , सबकी खैर।फिर मिलेगें तीरक्षी नजर से तीखी खबर के संगे।
तब तक के लिए ,अलविदा ।


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