- सरस आजीविका मेला 2024 का शुभारंभ, ‘लखपति दीदी’ पहल को बढ़ावा
- 31 राज्यों की ग्रामीण शिल्प और उत्पादों की प्रदर्शनी
- स्थानीय उत्पादों को मुख्यधारा के बाजार से जोड़ने की पहल
- 14-27 नवंबर 2024 तक चलेगा सरस आजीविका मेला
- ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण की ओर एक और कदम
- त्मनिर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल का प्रतीक
नई दि ल्लीः भारत मंडपम में आयोजित 43वें विश्व व्यापार मेले के हॉल नंबर 9 और 10 में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित और राष्ट्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज संस्थान (एनआईआरडीपीआर) द्वारा समर्थित सरस आजीविका मेला 2024 का उद्घाटन करते हुए केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं संचार राज्य मंत्री डॉ. चन्द्र शेखर पेम्मासानी ने कहा कि ग्रामीण महिलाओं ने रचनात्मकता का अद्वितीय प्रदर्शन किया है। उन्होंने कहा कि यह मेला ग्रामीण भारत की महिलाओं के आत्मनिर्भरता और सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। डॉ. पेम्मासानी ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि सरस आजीविका मेला न केवल ग्रामीण महिलाओं को उनके उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने का मंच प्रदान करता है, बल्कि उन्हें बेहतर विपणन और पैकेजिंग तकनीकों में भी पारंगत बनाता है। यह मेला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘लखपति दीदी’ अभियान को साकार करने का एक महत्वपूर्ण कदम है और ‘आत्मनिर्भर भारत’ तथा ‘वोकल फॉर लोकल’ जैसी सरकारी पहलों का उत्कृष्ट उदाहरण है।”
इस अवसर पर केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के अपर सचिव चरणजीत सिंह, संयुक्त सचिव स्वाति शर्मा, निदेशक मोलीश्री, सीएल कटारिया और आलोक जवाहर सहित मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे।
मेला 14 नवंबर से 27 नवंबर 2024 तक चलेगा, जिसमें 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 300 से अधिक स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं भाग ले रही हैं। हॉल नंबर 9 और 10 में लगे 150 से अधिक स्टॉलों पर विभिन्न प्रकार के उत्पाद प्रदर्शित किए गए हैं। केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं संचार राज्य मंत्री डॉ. चन्द्र शेखर पेम्मासानी ने स्टॉलों का निरीक्षण किया तथा महिलाओं को प्रोत्साहित भी किया। इनमें आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश की रेशम और सूती साड़ियाँ, झारखंड की तसर साड़ियाँ, मध्य प्रदेश की चंदेरी साड़ी, जम्मू-कश्मीर की पश्मीना शॉल, असम और आंध्र प्रदेश के लकड़ी के हस्तशिल्प, तथा हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के हस्तनिर्मित उत्पाद प्रमुख हैं।
मेले में उत्पाद पैकेजिंग, संचार, और बी2बी मार्केटिंग पर विशेष कार्यशालाएं आयोजित की जा रही हैं ताकि ग्रामीण महिलाएं अपने उत्पादों को मुख्यधारा के बाजार में सफलतापूर्वक उतार सकें। यह मेला ग्रामीण क्षेत्रों की पारंपरिक कला और शिल्प को प्रोत्साहन देने के साथ-साथ स्थानीय उत्पादों की मांग को भी बढ़ावा देता है।
मेले में बड़ी संख्या में आगंतुक पहुंचे, जिन्होंने जमकर खरीदारी की और ग्रामीण कलाओं की सराहना की। विभिन्न खाद्य उत्पादों, मसालों और अचार के स्टॉलों पर भी लोगों ने विशेष रुचि दिखाई।
सरस आजीविका मेला 1999 से ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित किया जा रहा है और यह ग्रामीण महिलाओं को रोजगार के नए अवसर प्रदान करने के साथ-साथ उन्हें शहरी बाजार से जोड़ने का एक सशक्त माध्यम बन चुका है। मेले में ‘एक जिला एक उत्पाद’ पैवेलियन, स्वास्थ्य डेस्क और मातृ देखभाल कक्ष जैसे विशेष आकर्षण भी हैं, जो इस मेले को और भी समृद्ध बनाते हैं।
सरस आजीविका मेला 2024 निश्चित रूप से ग्रामीण महिलाओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने और उन्हें सशक्त बनाने की दिशा में एक और प्रभावी कदम साबित होगा।